राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को उत्तरप्रदेश और दिल्ली में 17 जगहों पर छापेमारी की। एनआईए के मुताबिक, यह छापेमारी करीब पांच महीने पहले आईएसआईएस से प्रेरित होकर बने आतंकी संगठन हरकत उल हर्ब-ए-इस्लाम के खिलाफ की गई कार्रवाई है।

जांच एजेंसी ने छापे की कार्रवाई दिल्ली के जाफराबाद और उस्मानपुर व उत्तर प्रदेश के लखनऊ, अमरोहा, हापुड़ और सिंभावली में की। जिसमें संगठन से जुड़े 10 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया और 16 अन्य को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया।

एनआईए ने मीडिया को बताया कि यह संगठन उत्तर भारत में भीड़-भाड़ वाले इलाकों में फिदायीन हमलों की साजिश रच रहा था। दिल्ली का आरएसएस मुख्यालय, दिल्ली पुलिस मुख्यालय, कई नेता और प्रमुख हस्तियां उसके निशाने पर थीं।

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लेकिन जब एनआईए ने छापेमारी में ज़ब्त किए गए हथियार पेश किए तो उसमें सुतली बम और देसी कट्टे भी नज़र आए। जिसके बाद से एनआईए की इस कार्रवाई पर सवाल उठने लगे।

इसके साथ ही गिरफ्तार कि गए लोगों के परिजनों ने भी एनआईए पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके घर के बच्चों को जानबूझकर साज़िश के तहत फंसाया जा रहा है।

छापेमारी में गिरफ्तार किए गए दो सगे भाईयों सईद और रईस के परिजनों ने बताया कि उनके घर में पहले जबरन हथियारों को अंदर लाया गया और फिर मारपीट कर बच्चों से इकबालनामे पर दस्तख़त कराए गए। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि छापे के दौरान उनके बच्चों के आईडेंटिटी कार्ड जला दिए गए।

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परिजनों के इन गंभीर आरोपों के बाद एनआईए की कार्रवाई शक के घेरे में आ गई है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत भूषण ने इसपर सवाल खड़े करते हुए ट्विटर के ज़रिए कहा,

“लगता है फिर से एनआईए अपने पुराने खेल खेल रही है। बेकसूर मुसलमानों को पकड़कर आईएस आईएस का एजेंट बताकर बड़ी आतंकी साजिश कह रही है”।

उन्होंने कहा, “गांव के लोगों का आरोप है कि इनके सब आईडेंटिटी कार्ड जला दिए। ट्रैक्टर के पाइप को रॉकेट लॉन्चर और लोहे के चूरे को बारूद बना दिया”।

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