बुलंदशहर हिंसा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को लखनऊ में आलाधिकारियों के साथ हुई हाई लेव मीटिंग में अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि गोकशी से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संबंध रखने वाले सभी लोगों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करें। इस दौरान उन्होंने हिंसा भड़काने और इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के कोई निर्देश नहीं दिए।

सीएम योगी के इन निर्देशों का अब यूपी पुलिस पूरी तरह से पालन करती नज़र आ रही है। यूपी के इंस्पेक्टर जनरल (IG) राम कुमार ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि उनकी प्राथमिकता हिंसक वारदातों में शामिल लोगों को पकड़ने से ज्यादा गोहत्या करने वालों को बेनकाब करना है।

चैनल से बातचीत के दौरान IG ने कहा, “हम सिर्फ सबूतों के आधार पर ही कार्रवाई कर सकते हैं। हमें फॉरेंसिक जांच करनी है। अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि इंस्पेक्टर सुबोध या सुमित (हिंसा में मारा गया दूसरा शख्स) को गोली किसने मारी।”

इसके बाद आईजी ने कहा, “लेकिन, गोहत्या के पीछे कौन है। इस षडयंत्र के पीछे कौन है। यह बड़ा सवाल है। न कि बिना फॉरेंसिक सबूत के वीडियो में शामिल लोगों को पकड़ना”।

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सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि कथित गोकशी करने वालों के खिलाफ़ जिसने FIR दर्ज कराई है, वह इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या का मुख्य आरोपी है और FIR में उसके द्वारा दर्ज कराए गए सात में से छह नाम एनडीटीवी की ही पड़ताल में बोगस पाए गए हैं।

चैनल की पड़ताल में FIR में दर्ज किए गए सात नामों में दो नाम बच्चों के हैं और तीन बाहरी लोगों के नाम हैं, जिनका गांव से कोई संबंध नहीं। वहीं FIR में एक नाम ऐसा है जो पिछले कई सालों से गांव आया ही नहीं।

हालांकि, IG ने इस बात से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि सात लोगों में से सिर्फ एक ही नाबालिग़ है, जिसका नाम FIR से हटा दिया गया है। उन्होंने बताया कि दूसरा नाबालिग़ नहीं है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।

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अब यहां सवाल यह उठता है कि इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या के मुख्य आरोपी की शिकायत पर पुलिस कथित गोकशी के आरोपियों को तो गिरफ्तार कर रही है, लेकिन अपने साथी की हत्या के आरोपी के खिलाफ़ कार्रवाई करने से क्यों बचती नज़र आ रही है?

इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या का मुख्य आरोपी योगेश है, जो हिंदूवादी संगठन बजरंग दल का ज़िला संयोजक है। सोशल मीडिया पर लोगों का दावा है कि योगी सरकार योगेश के खिलाफ कार्रवाई इसलिए नहीं कर रही क्योंकि इससे बीजेपी की हिंदुत्ववादी छवि को नुकसान हो सकता है।

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