भाजपा ने जो वादा किया था वही उनके लिए मुसीबत का कारण बनता जा रहा है। सड़क एंव परिवहन मंत्री ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि चुनाव के दौरान किए गए वादे सिर्फ चुनाव जीतने के लिए होते हैं।

आज जब देश की जनता हमें तारीख के साथ वादे याद दिलाती है तो हमारे पास कोई जवाब नहीं होता। हम हंसकर बिना कुछ बोले निकल जाते हैं।

फिर तो भाजपा के लिए भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का वादा भी केवल चुनावी वादा है इससे बढ़कर कुछ नहीं। हम यहां अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए उस बात को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं।

हम तो ये बताने कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा कितने सालों से सिर्फ यही वादा करके जनता से वोट ले रही है। पर अभी तक मंदिर नहीं बना पाई। भाजपा बखूबी जानती है कि यदि आयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो जाएगा तो वह जनता से क्या कहकर वोट मांगेगी।

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भाजपा कुछ समय से संसद में राम मंदिर निर्माण अध्यादेश लाने की कोशिश में है पर अभी तक नहीं ला पाई है। भाजपा का इस बिल को लेकर क्या सोच है वो इसे संसद में लाना चाहती है या नहीं इसका जवाब तो इसके पास ही है।

मगर वहीं ट्रिपल तलाक बिल को संसद में पास करने के लिए भाजपा इतनी बेताब क्यूं थी। भाजपा की इसी बेताबी पर उनके पार्टी के सांसद और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने ट्वीट किया है –

कीर्ति आजाद के ये ट्वीट बेतूका नहीं है। कीर्ति आजाद तो खुद अपने पार्टी पर व्यंग मारते हुए जनता से किए वादे को याद दिला रहे हैं।

वैसे ट्रिपल तलाक बिल पास हो जाने पर भाजपा मंत्रियों ने इसकी जमकर तारीफ की है। कपड़ा मंत्री समृति इंरानी ने कहा कि ट्रिपल तलाक को अपराध के नज़रो ने देखा जाना चाहिए। इस्लाम इतिहास की बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस्लाम में भी तलाक को एक औरत के खिलाफ अपराध माना है।

वहीं एआईएमआईएम प्रमुख असुद्दीन ओवैसी ने बिल के प्रावधान को अंसवैंधानिक कहा है। उन्होंने सुझाव दिया है कि इस बिल को संयुक्त चयन समिति को भेजना चाहिए।

उन्होंने विरोध करते हुए कहा कि यदि हमारे देश में तलाक के कानून में हिंदूओं को एक साल की सज़ा है तो मुस्लमानों को तीन साल की सजा क्यों रखी गई है।

रविशंकर ने कहा- ट्रिपल तलाक बिल महिलाओं के अधिकार के लिए लाया गया है, पत्रकार बोले- वही अधिकार आप सबरीमाला में क्यों नहीं देते?

ये तो सोचने वाली बात है कि धर्म के आधार पर एक ही गुनाह के अलग-अलग सज़ा का प्रवाधान क्यों तैयार किया जा रहा है। ये सरा सर किसी धर्म पर प्रत्यक्ष रूप से हमला है।

भाजपा ट्रिपल तलाक बिल पास करवाने में सफल तो हो गई है। मगर अब राम मंदिर निर्माण पर बिल कब तक लाएगी, अध्यादेश लाएगी या नहीं इस पर अभी भी सस्पेंस बर्करार है।

और सरकार के बर्ताव से लगता है कि इस पर संस्पेंस आगे भी बर्करार रहेगा, क्योंकि देश में अभी कईयों लोकसभा चुनाव होना बाकी है।

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