11 दिसम्बर को चुनाव आयोग ने राजस्थान समेत 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों का रिज़ल्ट घोषित किया था। जिसके बाद राजस्थान 11 तारीख़ की रात में दो पक्षों के बीच मारपीट की घटना हुई थी। ये घटना घटी थी जोधपुर ज़िले की बालेसर तहसील के गाँव उटाम्बर में।

बालेसर थाना अधिकारी देवेंद्र सिंह के मुताबिक़, 11 दिसम्बर की रात चुनाव नतीजों के बाद दो पक्षों में मारपीट और तोड़फोड़ की घटना हुई थी, जिसके बाद दोनों पक्षों से तहरीर मिली थी और मामला दर्ज कर लिया गया था। घटना में शामिल चार आरोपियों को कोर्ट ने ज़मानत भी दे दिया है।

बहरहाल यहां चुनाव नतीजों की तारीख़ का बार-बार ज़िक्र इसलिए किया जा रहा है क्योंकि, कुछ आसामाजिक तत्व इस घटना को हिंदू-मुस्लिम करने और राजस्थान में कांग्रेस की जीत से जोड़कर समाज में द्वेष और नफ़रत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

इनमें से एक है Ashok65 नाम का ट्वीटर यूज़र। बीजेपी-आरएसएस समर्थक Ashok65 ने ट्वीटर पर इस घटना का फ़र्ज़ी वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि, ‘उटांबर में राजपूतों के घर में घुसकर मुस्लिम कार्यकर्ताओं ने बहन बेटियों पर हाथ डाला और घरों पर हमला किया। 5 घंटे में ऐसी हालत है तो 5 साल में कितना अत्याचार होगा’

फेक न्यूज़ से नफरत फैलती है और इसका सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को मिलता है

Ashok65 को 776 लोग फॉलो करते हैं। अब ज़रा सोचिए कि अगर इतने लोगों के पास फ़र्ज़ी वीडियो पहुँचेगा, तो क्या उनके मन में ख़ास समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत का जन्म नहीं होगा?

पर भला हो राजस्थान पुलिस का जिसने Ashok65 के इरादों को कुचल कर रख दिया। RAJASTHAN POLICE के अधिकारिक ट्वीटर हैंडल @PoliceRajasthan से नफ़रत फैलाने वाले इस ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए लिखा गया कि,

‘हेलो @Ashok6510

राजस्थान पुलिस आपको watch कर रही है। ये एक पुरानी वीडियो है जो झारखंड के रांची की है। आप तुरंत इसे delete करें अन्यथा Cyber Unit को यह case सौंप दी जायेगी।

आइंदा इस तरह के अफवाह न फैलाएं।’

राजस्थान पुलिस ने खुद वायरल वीडियो को शेयर करते हुए उसकी सच्चाई बतायी है। देखिए…

क्या है वीडियो की सच्चाई?

जो वीडियो Ashok6510 ने शेयर की है वो 6 महीने पुरानी है। इतना ही नहीं वीडियो राजस्थान की नहीं झारखंड के रांची की है। दरअसल भाजपा युवा मोर्चा की मोटरसाईकिल जुलूस में हुई नारेबाज़ी के ख़िलाफ़ कुछ लोगों ने पुलिस और भाजयूमों कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की थी।

मारपीट करने वालों के ख़िलाफ़ पुलिसिया कार्रवाई भी हुई थी। 6 महीनें पुरानी इस घटना में भी ऐसा कुछ नहीं हुआ था जो Ashok65 नाम के ट्वीटर हैंडल से लिखा गया।

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खैर, पुलिस की तत्परता ने लोगों को फेक न्यूज का शिकार होने से बचा लिया। फेक न्यूज के इस दौर में अपने विचार, ख़बरें, वीडियो बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुँचाना बहुत आसान है।

लेकिन ज़रा सी नादानी समाज में नफ़रत का सबब बन सकती है। घटना कोई भी हो सोशल मीडिया यूज़र्स को इस बात का ख़ास ख़याल रखना चाहिए कि उनकी किसी भी आसामाजिक टिप्पणी से समाज का महौल ख़राब हो सकता है।

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