
देश में श्वेत क्रांति के जनक और पद्म विभूषण से सम्मानित वर्गीज कुरियन पर गुजरात की मोदी सरकार में मंत्री रहे दिलीप संघानी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अमूल के पैसे से गुजरात के डांग ज़िले में धर्मांतरण की गतिविधियों को पैसा मुहैया कराया था।
शनिवार को अमरेली स्थित अमर डेयरी में डॉ कुरियन के जीवन और कार्यों के संस्मरण पर बातचीत करने के लिए अमूल द्वारा आयोजित मोटरसाइकिल रैली में बोलते हुए संघानी ने कहा, ‘अमूल की स्थापना त्रिभुवनदास पटेल ने की थी।
लेकिन क्या देश त्रिभुवनदास पटेल के बारे में जानता है? गुजरात के किसानों और मवेशी पालने वालों ने अपनी कड़ी मेहनत के माध्यम से जो भी धन इकट्ठा किया। उसे कुरियन ने डांग (दक्षिण गुजरात) में धार्मिक रूपांतरणों के लिए दान दे दिया’।
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उन्होंने कहा, ‘यह ब्योरा अमूल के रिकॉर्ड में अपलब्ध है। जब मैं मंत्री था, तो यह मुद्दा मेरे नोटिस में आया था, लेकिन मुझे चुप रहने की सलाह दी गई क्योंकि कांग्रेस देश भर में इस मुद्दे को उठा सकती थी’।
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने बीजेपी नेता के इस बयान को शर्मनाक बताया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘यह शर्मनाक है कि गुजरात से बीजेपी के पूर्व सांसद दिलीप संघानी भारत के मिल्कमैन डॉ वर्गीज कुरियन पर हमला करते हैं और उनपर धर्मांतरण का आरोप लगाते हैं!
मेरी राय में डॉ कुरियन भारत रत्न के हक़दार हैं जो कि किसी नेता से कहीं ज़यादा है। गुजरात सरकार को उन्हें सम्मानित करने में बढ़त लेनी चाहिए…आप पर सलाम है श्री अमूल’।!
Shameful that former BJP MP from Gujarat Dileep Sanghani should attack India’s milkman Dr Verghese Kurien and accuse him of religious conversion! Dr Kurien deserves a Bharat Ratna IMHO much more than any neta. Gujarat Govt should take lead in honouring him.. salute you Mr Amul!
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) November 27, 2018
कौन थे वर्गीज कुरियन
वर्गीज कुरियन को ‘भारत का मिल्कमैन’ भी कहा जाता है। देश में कृषि व दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले कुरियन ने गुजरात के आणंद शहर को अपनी कर्मभूमी बनाया। यहीं पर उन्होंने भारत की श्वेत क्रांति की नींव रखी। उन्होंने अमूल, जीसीएमएमएफ, इरमा, एनडीडीबी सहित तीन दर्जन संस्थाओं की नींव रखी।
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उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। साल 1965 में उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। वर्गीज़ कुरियन आणंद के इंस्टिट्यूट ऑफ़ रूरल मैनेजमेंट (आईआरएमए) के अध्यक्ष भी रहे।