बिहारः शनिवार को सीएम नीतीश कुमार ने जदयू के राष्ट्रीय महासचिव रामचंद्र प्रसाद सिंह, प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह, प्रवक्ता संजय सिंह, मंत्री जय सिंह सहित दूसरे ‘सिंह’ नेताओं के साथ वशिष्ठ नारायण सिंह के घर पर बैठक की।

पार्टी के सूत्रों के मुताबिक़ पटना में हुई जदयू की इस ‘सिंह’ बैठक का मक़सद था, आने वाले 2019 के चुनाव में सवर्णों के बीच पार्टी की स्थिति को प्रभावशाली बनाना।

अब तक जो आपने पढ़ा वो आपको शायद बिलकुल नॉर्मल लग रहो हो कि सीएम ने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की। कुछ हद तक ये नॉर्मल है भी, लेकिन तब तक जब तक आप सीएम के दूसरे समुदायों के साथ की गई बैठक को भी सिर्फ़ बैठक के नज़रिये से देखते हैं।

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लेकिन ज़ी न्यूज़ समेत दूसरे गोदी मीडिया हाउसेज़ ने इसे सवर्णों के साथ सीएम की बैठक बताकर बड़ी ही साफ़गोई से इसे जस्टिफ़ाई कर दिया। उन्होंने इसे जातिवादी बैठक नहीं बताकर सवर्णों के बीच जदयू की पैठ बनाने की कोशिश बताया।

ये वही गोदी मीडिया है जो मायावती के दलित सम्मेलन को, लालू यादव की पिछड़ी जाति के सम्मेलन को और अखिलेश यादव के मुस्लिम-यादव सम्मेलन को जातिवादी, और एक ख़ास धर्म के प्रति उक्त पार्टी के झुकाव की तरह दिखाती है। और हम देखत हैं।  

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बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने इसे जातिवादी पत्रकारिता बताते हुए ज़ी न्यूज़ पर निशाना साधा-

आरजेडी की इस बात एकदम में सच्चाई है। ऐसी पत्रकारिता को ही जातिवादी पत्रकारिता कहा जाएगा। न सिर्फ़ जातिवादी बल्कि ये ब्राह्मणवादी पत्रकारिता भी है। वरना गोदी मीडिया दूसरों के साथ भी वही सलूक करे। जो वो सवर्णों के साथ करती है।

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