आगरा में जलाकर मार दी गई 15 साल की मासूम बच्ची संजली के साथ हर वो इंसान खड़ा है जिसके अंदर वास्तव में इंसानियत बाक़ी है। जिसके अंदर हमदर्दी बची है।

लोग ग़ुस्से में हैं। ग़ुस्सा आना भी चाहिए क्योंकि ये घटना उस राज्य की जहां के मुख्यमंत्री अपने प्रदेश में रामराज लाना चाहते हैं। तो क्या यही है रामराज? क्या रामराज में 15 साल की बच्ची को बीच सड़क पर जलाने का प्रवधान है?

हिंदुत्व के नाम पर बीजेपी के लिए चुनावी माहौल बनाने वाले हिंदूवादी संगठन चुनाव के वक्त दलितों को भी हिंदू बताते हैं लेकिन जब दलितों पर अत्याचार होता है तो मुँह फेर लेते हैं।

निर्भया कांड जैसी मीडिया कवरेज ‘संजली’ को क्यों नहीं मिल रही? : दिलीप मंडल

इसका ताज़ा उदाहरण है दलित बेटी संजली के मामले में देखने को मिला है। संजली को कथित ऊँची जाति के दबंगों ने जलाकर मार डाला। लेकिन अपने फायदे के लिए दलितों को हिंदू बताने वाले हिंदूवादी संगठनों के मुँह से एक लफ़्ज़ नहीं निकला।

आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल… कोई भी हिंदूवादी संगठन संजली के समर्थन में सामने नहीं आ रहे हैं। तो क्या इससे साबित होता है कि दलितों को सिर्फ इस्तेमाल करने के लिए हिंदू बताया जाता है।

जिस प्रदेश में ‘पुलिसवाले’ का हत्यारा बेख़ौफ़ घूम रहा हो वहां संजली जैसी ‘बेटियां’ कैसे सुरक्षित होंगी? : कन्हैया

वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल लिखते हैं  ‘संजली के लिए न्याय मांगने के लिए आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद समेत किसी भी हिंदुत्ववादी संगठन के सामने न आने से एक बार फिर साबित हुआ कि दलित हिंदू नहीं होते. सिर्फ दंगे और वोट के लिए उन्हें हिंदू बनाया जाता है।’

जानें पूरी घटना-

मंगलवार 18 दिसम्बर, आगरा से 20 किमी. दूर लालामऊ गाँव के पास दो दबंगों ने स्कूल से वापस लौट रही 10 वीं में पढ़ने वाली मासूम बच्ची को आग के हवाले कर दिया था।

इस हैवानियत में बच्ची 75 फ़ीसदी झुलस गई थी जिसके बाद उसे दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन अफ़्सोस कि 36 घंटे तक जूझने के बाद उसने दम तोड़ दिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here