मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की नीतीश सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने सरकार के सवाल किया है कि इस मामले में इतनी कमजोर FIR क्यों दर्ज की गई।
कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि एफआईआर में न तो यौन शोषण का जिक्र किया गया और न ही वित्तीय अनियमितताओं का। कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार ने आरोपियों के खिलाफ़ जब FIR ही सही दर्ज नहीं की तो गिरफ्तारी कैसे होगी।
कोर्ट ने कहा कि बिहार पुलिस अपना काम ठीक से नहीं कर रही है। FIR की पहली लाइन में ही है कि 9 में 5 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है। कोर्ट ने पूछा कि आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 और पॉक्सो एक्ट के तहत अभी तक मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया?
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कोर्ट ने बिहार के चीफ सेक्रेटरी से नाराज़गी ज़ाहिर की और आदेश देते हुए कल कोर्ट में मौजूद रहने के लिए कहा। इसके अलावा बिहार सरकार को 24 घंटे में एफआईआर में बदलाव करने के लिए कहा गया है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘आप लोग (बिहार सरकार) कर क्या रहे हैं? यह शर्मनाक है। किसी बच्चे के साथ कुकर्म होता है और आप कुछ नहीं कहते? आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? यह अमानवीय है। हमें बताया गया था कि इस मामले को गंभीरता से देखा जाएगा, क्या यह गंभीरता है’?
कोर्ट ने आगे कहा, ‘हम जब भी इस मामले की फाइल पढ़ते हैं, दुख होता है। हर मामले की जांच क्यों नहीं हो रही है? पीड़ित बच्चे क्या इस देश के नागरिक नहीं हैं’?
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिहार सरकार को फटकार लगाए जाने के बाद सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है।
तेजस्वी ने न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए कहा कि सिर्फ FIR दर्ज करने में ही दो महीने लग गए। उसमें भी मुख्य अभियुक्त का नाम नहीं था। इस केस में जितने लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, वे सभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी हैं। सीएम आरोपियों को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।