सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ केस के सभी 22 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि सीबीआई इस मामले में पुख्ता सुबूत देने में असफल रही है।

इसलिए ये साबित नहीं होता है कि सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति की हत्या किसी साजिश के तहत हुई थी।

न जज लोया को किसी ने मारा था न सोहराबुद्दीन को! CBI कोर्ट ने सभी 20 आरोपियों को छोड़ा

इस मामले पर यूथ कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर लिखा, किसी ने जज लोया को नहीं मारा, किसी ने कौसर बी को नहीं मारा, किसी ने तुलसीराम प्रजापति को नहीं मारा, किसी ने सोहराबुद्दीन शेख को नहीं मारा।

गौरतलब हो कि सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के साल भर बाद 27 दिसंबर 2006 को प्रजापति की गुजरात और राजस्थान पुलिस ने गुजरात-राजस्थान सीमा के पास चापरी में कथित फर्जी मुठभेड़ में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।

इसके बाद  आजम खान नाम के शख्स ने कहा था कि शेख पर कथित तौर पर गोली चलाने वाले आरोपी और पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने उसे धमकी दी थी कि अगर उसने मुंह खोला तो उसे झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा।

सोहराबुद्दीन केस: जब ‘मुख्य आरोपी’ ही सत्ताधारी पार्टी का ‘अध्यक्ष’ हो तो सभी को बरी होना ही था

बता दें कि इस मामले कुल 38 व्‍यक्ति आरोपी थे जिनमें से अमित शाह के साथ 16 आईपीएस को बरी कर दिया गया। इस मामले में अब 22 आरोपी है उनमें पुलिस इन्सपेक्टर असिस्‍टेंट इंस्‍पेक्‍टर, सब-इंस्‍पेक्‍टर, कॉन्‍स्‍टेबल्‍स और एक अन्य व्‍यक्ति शामिल है।

यह व्‍यक्ति उस फार्महाउस का मालिक है, जहां 23 नवंबर, 2005 को बस से अगवा कर सोहराबुद्दीन और उनकी पत्‍नी कौसर-बी को कथित रूप से बंधक बनाकर रखा गया था।  

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